निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
चाकरी में दसरण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
भाव पक्ष- इसमें मीरा कृष्ण की चाकरी करने के लिए तैयार है क्योंकि कृष्ण की सेविका बनकर वे प्रतिदिन उनके दर्शन प्राप्त कर सकेंगी और स्मरण रूपी धन को प्राप्त कर पाएँगी तथा इस भक्ति रूपी, साम्राज्य को प्राप्त करके मीराबाई तीनों कामनाएँ बड़ी सरलता से प्राप्त कर लेंगी। अर्थात् प्रभु के दर्शन, नाम स्मरण रूपी खरची और नाम भक्ति रूपी जागीर तीनों ही प्राप्त कर लेंगी।
कला पक्ष- इसमें दास्य भाव दर्शाया गया है। भाषा ब्रज मिश्रित राजस्थानी है। अनुप्रास अलंकार, रुपक अलंकार और कुछ तुकांत शब्दों का प्रयोग भी किया गया है। भाषा में लयात्मकता तथा संगीतात्मकता है। ‘भाव भगती’ में अनुप्रास अलंकार है।